भटका जो में अब किसे कसूरवार ठहराऊ
मिले लोग कई मंजिल में भ्रमित करने वाले
भोले मन को छलने वाले,
अपना बोलकर पीठ पीछे पूरा घोपने वाले
पर सीखा क्यों नहीं इनसे, अब क्यों मैं पछताऊं
खुद के मन को जो नहीं कर पाया नियंत्रित
तो अब में किसे और कैसे कसूरवार ठहराऊ।।।
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