सुना था मैंने बचपन में
बर्फ़ के देश में एक सैंटा रहता है
लाल सफ़ेद शर्ट पहन
तोहफ़े बाँटता है
और बच्चे ख़ुश हो जाते हैं
मैं ..बचपन से अब तक
सैंटा ढूँढती रही .. मिला नहीं कभी ...
जब मिला तो पता चला
सैंटा लाल नहीं .. मेरा सैंटा नीला है ...
और वो साल के एक दिन नहीं
प्रत्येक दिन तोहफ़े दे जाता है
मुझे ख़ुश करने को
हर रोज़ ..अपने क़लम के पिटारे से
अपनी ही स्याही से गढ़ी
एक कविता ...
हाँ.. सैंटा ही तो हो.. मेरे तुम ..!
©LightSoul
-