मत्थे पर शिकन है? कुछ तो है आंखे जो नम है? कुछ तो है धड़कन भी बढ़ गई? कुछ तो है नजरें भी जम गई? कुछ तो है होठ कपकपा रहे है? कुछ तो है गालो पर सुर्खियत छाई? कुछ तो है चेहरे पर लज्जा आईं? कुछ तो है बेवजह जो तू मुस्कराई । कुछ तो जरूर है
ज़िन्दगी बारिश की बूंदों सी है सीप में पड़ी तो मोती हो गई पत्थर पर गिरी तो ढेर हो गई तुमसे मिली अहसास हो गई मुझसे मिली तो प्यास हो गई ताउम्र तरसती रही मंज़िल को जब खुद से मिली मिराज हो गई
लौट आओ ना कि तुम बिन सूना है घर का आंगन लौट आओ ना कि तुम बिन सूना है सपनो का दामन लौट आओ ना कि तुम बिन तन्हाई में जलते है लौट आओ ना कि तुम बिन दिन गिनते रहते है लौट आओ ना कि तुम बिन सूनी है राहें लौट आओ ना कि तड़पती बुलाती है बाहें लौट आओ ना कि अब देर हो रही है लौट आओ ना कि अब कमी खल रही है लौट आओ ना............
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