कालचक्र की आरियों में सुख-दु:ख गढ़े हुए हैं!
सकल पदार्थ जगत में बन्धु! तेरे लिए पड़े हैं!!
ज्ञान होगा, मान होगा, समय भी बलवान होगा!
शर्त है कि लक्ष्य बावत्, जब तेरा संधान होगा!!
खुद को खुद का समय देदे!
मन-वचन को साथ लेकर
कर्मणा व्यवहार करके,
जग में अपना भाग लेले-३
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