कलाधर छन्द-
काल के कराल से नहीं बचा मनुष्य कोइ,
काल के प्रकोप से निराश नाहि होइये।
युद्ध का प्रभाव जानते हुये सके न टाल,
श्याम भी विधान के विरुद्ध नाहि, सोचिये।।
भाग्य की लिखी हुई किताब ढूढ़ने बजाय,
कर्म पर विचार हो व अंत भूल जाइये।
मृत्यु काल-दोष है व मुक्ति मोह से निजात,
मोह त्याग के लिये सदा सुकर्म कीजिये।।
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