We are so much like Amrita and Sahir. Spending hours with each other without saying a word. I finish the 15th cup of tea and you smash the 15th half lit cigarette. The room smells of ginger and smoke. And the leftover tea leaves soak the redness from the cigarette. (Read in caption)
खामोशियों के फ़सानों में इक अनकहा सा लम्हा तो होगा, वक़्त की बहती लहरों का कहीं कोई साहिल तो होगा, यूँही नहीं सजती अक्सर ये महफिलें एहसासों की, ज़िन्दगी की शामों का पल दो पल का शायर तो होगा!
पल दो पल की कहानी होगी पल दो पल की रवानी होगा, तुम्हारे अन्दर भी कहीं पल दो पल का शायर तो होगा!
और मैं बस चुपचाप खड़ा उसे सुनता रहा। न उसे रोक सका न कुछ कह सका। बस शाम के ढल जाने का इंतजार करता रहा। आँखों में थी उसकी जाती हुई परछाई और कानों में उसकी आवाज़...