“चुप बेठन अब मुमक़िन नही “ कब तक चलता रहेगा ये सिलसिला कब तक आता रहेगा ये शहादत का दिन कब तक शहीद होंगे नौजवान कब तक झुकते रहेंगे हर बार हम कब तक अपनी चीज़ों को “महाभारत “ ना छिड़ जाने के डर से देते रहेंगे हम !!
क्यू फिर से “महाभारत “छेड़ने का आह्वान दिया जा रहा है
रुक जाओ वरना एक बार फिर से “कृष्ण और अर्जुन “ को आना होगा इस धरती पर इंसान बनकर जो जवानो की शहादत को व्यर्थ ना जाने देंगे !! अब होगा “महाभारत “का आह्वान और देना होगा शूरवीर की शहादत का जवाब उन सब पाखंडियो को !!
जन जन का ये प्रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा, हिंसा से अब तक दूर रहे, अब और नहीं रह पायेंगे, एक झपट्टे में ही पूरा, खाल खींच हम लाएंगे, बहुत हुआ अल्फाज़ों से अब, खामोशी से मारे जाएंगे, इस माटी के बेटे हैं हम, माटी मे ही मिल जाएंगे !