इस शहर में
इस शहर की ऊंचाइयों को, मैंने गहराइयों से देखा है।
रात के अंधेरों में, खामोशियों को परखा हैं।।
चमकना उस जुगनू का, जैसे कोई सितारा हो।
अपनी धुन में मग्न था वो, जैसे कोई आवारा हो।।
अनजान रास्तों पर, मंज़िल से होकर बेखबर
दिल में एक ख्वाब लिए, बिखरता जा रहा हूं।
दुनिया की उल्फतों में, चाहतों को समेट कर
कुछ पाने की आस में, खुदको खोता जा रहा हूं।।
लेकिन ,
कुछ तो खास है इस शहर में,
जो इसका अपना होता जा रहा हूं।।❤️
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