QUOTES ON #SAGAR

#sagar quotes

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24 SEP 2020 AT 23:33

तू सागर खारे जल सा है
मैं नदी मीठी जल सी हु,
वो कहता है कबतक मिलती रहोगी
मेरे खारे जल से,
मैंने कहा जबतक तुझमे
मिठास ना भर दू.......

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18 DEC 2018 AT 10:40

खो कर तुझमें, खुद को पा लिया

सागर से मैंने मोती चुरा लिया





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11 OCT 2019 AT 22:21

भरे महफ़िल में आज ये ऐलान करती हूँ।
बेइंतेहा मोहब्बत आपसे ही करती हूँ।
कैसे बयां करूँ कितना मोहब्बत है आपसे
बस ईतना जान लीजिए आप के प्यार में सागर लाँघने का भी हिम्मत रखती हूं।

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22 JUN 2019 AT 0:39

मेरे क़ाबिल तू बन चुकीं है कब से
तराशने की कभी कमी मेहसूस ना हुयीं

तू साहिल नहीं इस सागर की लहर है
जो हमेशा साथ रहती है

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23 AUG 2020 AT 13:51

बहुत गुस्सा करता है
पूरी दुनिया से लड़ता है.......

उसे कोई सम्हाले नामुकिन सा लगता है
मेरी बातो से ना जाने वो कितना हसता है........

खुद इतना समझदार और
एक झल्ली पे मरता है........

वैसे तो वो बहुत सुलझा हुआ है
फिर भी ना जाने क्यों उलझा हुआ है......

हजारो से लड़ने की ताकत रखता है
मेरी एक डाट से सभी को सलाम करता है.....

सागर जैसा विशाल है वो
हाँ थोड़ा सा तो नादान है वो......


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10 DEC 2020 AT 7:40

वो छूकर किनारो को लोट जाता है सागर हरबार,
जो प्यास बुझा दे वो गागर हो जाना आसान नही।

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10 MAY 2020 AT 22:13

जिसके दिल में ममता का सागर अथाह है

वो कोई और नहीं बल्कि मेरी मां है


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26 FEB AT 21:11

नम आँखे भी मेरी खुशी से मुस्कुराती हैं ,
जब खामोशी तेरी यादों के गीत गाती है,,

ठहर जाता है जैसे वक्त, उस एक पल के लिए ,
और उस एक पल में गुजरी सारी सदियां बीत जाती है ,,

एक बार फिर से लव मुस्कुराते है उन लम्हों में पहुँचकर ,
और एक बार फिर मुस्कुराते मुस्कुराते आँखे भर जाती हैं,,

मैं सहेज लेती हूँ दिल में एक एक पल को जो तेरे साथ गुजरे,
इन लम्हों के सहारे ही तो मैं तन्हाइयों में भी गुनगुनाती हूँ ,,

तुम्हें नहीं पता मैं चुपके से देखती हूँ तुम्हें तुम्हारें आंखों से ओझल होने तक ,
राह देखती नजरों में वो छवि आँखों में महीनों तक अमिट हो जाती हैं ,,

ये लफ्ज़ कहाँ इंसाफ़ कर पाते हैं मेरे प्यार की अभिव्यक्ति में ,
खैर मैं भी कहाँ अपने प्रेम को पूर्णतः लफ्ज़ो में तब्दील कर पाती हूँ ,,

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26 AUG 2019 AT 20:38

संभल गए थे पर शोखियों ने उस के गिरा दिया जुबाँ से लफ्ज़ न फूटे कल्पनाओं ने असीम सागर बना लिया
सागरों की लहरों से कुछ शिकारी बच निकले नासमझ थे हम लहरों ने डूबा दिया
हम डूब चुके थे भवसागर में,लोगों ने कैसे खुद को बचा लिया
लहरों ने थोड़ी नरमी क्या बरती दिल ने गोते लगा लिया
कुछ खास था उस समुन्दर में जो डूब कर भी संवर गए पानी तो खारा था फिर भी हम निखर गए

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10 OCT 2021 AT 16:01

तुमसे मुझे जो प्यार है
तुम्हारे लिए जो मेरे अहसास हैं
मैं वो सब लिखना चाहती हूँ
पर मेरे अहसास रूपी सागर को
ये बांध रूपी कागज ..
क्या बांध पाएगा ..??
मेरे अथाह प्यार को ..?
समेट पाएगा खुद में..?
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