वफा कर के भी यहा वफाये नही मिलती,
इश्क़ के अदालत मे कोई सफाई नहीं मिलती..!!
आंसुओ को मुस्कराह में बदल कर,
फस गई कुछ झूठ के दलदल में मैं
अपनी हसरतों से खुद ही ङर के
हों गई जिन्दा मैं थोङा सा मर के,
बङी आसानी से यहा लोग बदल भी जातें हैं,
झूठी हसीं लेकर हम सम्भल भी जातें...!!
-