तन्हाई
साथ रही ना जब मेरी परछाई,
लूट गई हाय मुझे तन्हाई।
मेरे दिल में जो था,
क्यों ना मैं कह पाई।
आखिर कब तक मैं करू भरपाई।
मैं जो कल थी,
आज क्यों ना वैसी बन पाई।
रहते तो साथ सभी हैं मेरे,
फिर भी सताए मुझे तेरी जुदाई।
आज तो ज़िन्दगी भी साथ ना दे पाई,
मौत सामने खड़ी मुस्कुराई।
यूँ तो कोई पूछता ना था भाई,
अचानक जनाज़े पे भीड़ कहा से उमड़ आई?
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