जैसे प्रकृति ने छेड़ा हो एक युद्ध,
मानव के साथ, मानव के विरुद्ध,
जैसे ले रही हो बदला,
मरती हुए प्राकृतिक सजगता के प्रति,
लुप्त होती हुई भावना के प्रति,
व्यापक स्वरूप धारण करती हुई क्रूरता के प्रति,
चीखती हुई मानवता के प्रति,
या फिर जैसे स्मरण करा रही हो,
इंसानियत नैतिकता व संस्कार,
जीवन के सही आधार,
उकेर रही हो मस्तिष्क पर,
जियो और जीने दो का विचार।
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