याद तेरि जब आती है
तकिया लेके सोते है,
बात जब नहीं हो पाती है
बच्चों की तरह रोते हैं।
ये आखें भी मेरी हरवक्त
तुझको देखना चाहती है,
पर तुझको देखने के लिए
रब का भी इजाजत जरूरी है।
रात में जब सोने जाता हूँ
ख्वाबों में एक तूझे हि पाता हूँ,
में भी कितना पागल हूँ
एक तुझपे ही जान लुटाती हूँ।
मिलने को तुझको तरसते हैं
पर मील भी नहीं पाते हैं,
खोये खोये से रहते हैं
ख्यालों में तूझे हि पाते हैं।
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