कभी कभी में सोचता हूं तुम इतनी खास क्यों हो.? आंखो से हो ओझल दिल के इतने पास क्यों हो.? तन्हाइयों में महफिलों का अहसास क्यों हो.? जमाने की तंज कस्ती हवा में सुकून की सांस क्यों हो.?
हमे बिछड़े सदियां बीत गई आज भी तुम मुझे इतनी रास क्यों हो.? इस गम-ए-ज़िन्दगी में तुम मुस्कुराहट की आखरी आस क्यों हो.? सालो सुखी पड़ी दिल की जमीं की इकलौती प्यास क्यों हो.? कभी कभी में सोचता हूं तुम इतनी खास क्यों हो.?
उन रेंगती फिज़ाओं मे सन्नाटो की दस्तक है बेरूह कमरों में आज इंसानो की रोनक है वो बगावतें , वो उल्फतें अभी नजारों में नहीं हैं कुछ दिन की ये रफाक़त भी फितरते-इन्साँ नहीं है ।
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Fetching #relife Quotes
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