लंबी जुदाई
महीने भर के लिए बिछड़े थे,
पर साल गुज़रने को आई।
केहते थे एक पल जी नहीं सकते,
अब तो बस साथ है तन्हाई ।
कभी रोज़ मिलने की ज़िद करते थे,
अब मीलों की दूरी भी नहीं खटकते।
कभी न बिछड़ेंगे जिंदगी भर के लिए,
वो किए वादे अब तो याद भी नहीं आते।
ख़यालों में आपके हर इक दिन हमारा साल बराबर था,
आपके लिए वो आखरी मुलाकात बस कल ही तो था।
कभी हर गम हर खुशी बांटा करते थे,
अब वो प्यार भरी बातें कहाँ हुआ करती हैं ।
साल भर मैं शायद ही कोई पल बीता था
जब आपको देखने को आंखें न तरसी हो,
अब तो कोई नज़ारा भी नहीं भाता,
पता नहीं अब कब आपका दीदार हो ।
न जाने हमसे क्या हो गयी खता,
जो किस्मत भी हमसे रूठ सी गयी,
जिसको सुबह शाम दिल में बसाते थे,
उनसे ही मिली बस लंबी जुदाई ।
-