उनके याद आती है बेहाल सा दिल कुछ अपने क़लम से लिखने का फ़रमान लेकर आता है, और उनके लिए कुछ नज़्म लिखने की गुज़ारिश करता है वो नज़्म क्या लिखुँ उनके गुस्ताखियों को बार- बार सोचना पड़ता है !!
वो भी क्या वक़्त थे हम दोनों कितने करीब थे दोस्त हर खुशी और गम तुझसे ही साझा करते थे और आज ऐसा मोड़ आया है ज़िन्दगी में क़रीब हो तुम हमारे लेकिन बस याद बन कर।