कौन चाह रखता है यहां किताबों को बचाने की,
सबको पड़ी है बस अपने सराबो को बचाने की
हाथ जख्मी किए बैठे है शहर के आशिक़ सारे,
कांटो ने कसम ले रखी है गुलाबो को बचाने की
आज कुछ और है कल कुछ और हो जाएंगे ये,
छोड़ दो कवायद करना ख़्वाबों को बचाने की
इश्क नादां है कदम कदम पर धोखा है दोस्तो,
सोच रखो अपनी इज्जत किरदार को बचाने की
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