जज़्बात...
एक रात की बात है, ख़ौफनिये जज़्बात है..
जा रहे थे दोनों जैसे आज़ाद परिंदे, कौन जानता था की इंतज़ार कर रहे है उनका पांच हैवान दरिंदे..
वहशियों ने उनको रोका, छीना छपटी की जैसे ही लगा मौका...
उस लड़की की क्या गलती थी, या क़िस्मत उससे रूठी थी..
जो हादसा का शिकार हुई, सुना है वो जीते जी मर रही....
कितनी चीखी आंसू बहे...
क्या यह वही देश है जो नारी को देवी कहे ?
ये कैसा शाशन है पता नहीं, सब सुनते हुए भी पुलिस खामोश रही..
यह हादसा सुन रूह मेरी काँप गयी, हाथ सही होकर भी कलम मेरी लड़खड़ा गयी.................. लगता है वो भी घबरा गयी .
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