*ये दिन भी गुजर जाएंगे* कौन अपना है और कौन पराया ये फिर ना बताएंगे उतरते ही वक्त के चश्मे सभी नजर आएंगे देख लेना ए मुसाफिर ये दिन भी गुजर जाएंगे
बहते आंखों से आंसू टूटे सपनों का दुख बिगड़ते हालात में केवल सच्चे ही साथ निभाएंगे थाम ले दिल को अपने ये दिन भी गुजर जाएंगे
खून पानी हो गया सारा निगाहें भी तार तार हो गई जिन्हें अपना जाना था अब तक वो बातें बेकार हो गई वक्त बिगड़ते ही सभी बेरंग हो जाएंगे धैर्य रख मन में अपने ये दिन भी गुजर जाएंगे ये दिन भी गुजर जाएंगे
बचपन कितना मासूम होता है ना उस वक्त खेल कूद में जीवन बसता है और बड़े होते ही जीवन खेल बन जाता है जिसमें कभी हार होती है तो कभी जीत कभी परेशानियों का शोर तो कभी सुख का सुरीला संगीत