बच्चा था तो लगता था
स्कूल भेजना साजिश
बड़ा हुआ तो नई योजना
जॉइन कर लो "ऑफिस"।
बचपन की साजिश से अब तो
निकल गया लगता था
पर अब जिसमे कैद हुए थे
"केबिन"था,,, जैसे माचिस ।
केबिन में तो बड़ा बवंडर
घर में बड़ा सुकूँ था
पर घर की खुशहाली ख़ातिर
वजह बना था ऑफिस ।
मज़बूरी कह लो तुम इसको
या कह लो कि साजिश
सबकी लेकिन करनी थी
मुझको पूरी ख्वाइश ।
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