QUOTES ON #RAVIKAVI

#ravikavi quotes

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21 FEB 2018 AT 10:37

इस दिल के कई दरवाजे हैं
कुछ खुले हैं, तो कुछ पर ताले हैं

हर दरवाजे में बंद कई अफसाने हैं
कुछ नये हैं, तो कुछ पुराने हैं

इन अफ़सानो से जुड़े कई शख्स हैं
बस चंद ही अपने है, बाकी सब बेगाने हैं

हर शख्स से जुड़े कई तराने है
सब याद है, बस कुछ है जो भूल जाने है

इस दिल के कई दरवाजे हैं
कुछ खुले हैं, तो कुछ पर ताले हैं

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25 APR 2018 AT 9:30

नमस्कार साथियों,
भाषा के समुन्दर में अब मेरी भी कुछ बूंदें होगी।
अब मेरी दिल-ओ-दिमाग भी कागज पर होगी।।

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21 JAN 2018 AT 19:19

क्या क्या होता है प्यार में, उसे नहीं पता
उसे प्यार कभी हुआ नहीं है

दिखाई देती थी उसे, किताबों में किसी की सूरत
पर कहती थी, उसे प्यार कभी हुआ नहीं है

गुजरा था वक़्त उसका, यूँही बैठे बैठे ख़यालों में
पर कहती थी, उसे प्यार कभी हुआ नहीं है

पहचान जाती थी वो, किसी को... बस एक आहट से
पर कहती थी, उसे प्यार कभी हुआ नहीं है

जीत जाती थी वो, मेरी और उसकी तकरार में
लगता है इसीलिए कहती थी, उसे प्यार कभी हुआ नहीं है

मगर शायद
क्या क्या होता है प्यार में, उसे नहीं पता क्योंकि
उसे प्यार पहली बार जो हुआ है

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17 JUN 2018 AT 16:49

ख्वाहिश कुछ पाने की या
खुद में ही खो जाने की

ख्वाहिश, अधूरा ही सही मगर चाँद बन जाने की
अँधेरे मे रोशनी की पहचान बन जाने की

बगीचे की बहार बन जाने की या
किसी के चहरे की मुस्कान बन जाने की

ख्वाहिश, नदी की तरह खुद राह बनाने की या
दरिया मे मिल अंतहीन हो जाने की

बंजर जमीन पर पानी बन जाने की या
किसी की बैचेनी में सुकून बन जाने की

ख्वाहिश, हाँ ख्वाहिश है कुछ पाने की
और खुद में ही खो जाने की

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10 MAR 2018 AT 21:54

तू धूप, तू ही छाया,
तू दीन है, तू ही माया!

तू पहेली, तू ही युक्ति,
तू बंधन है, तू ही मुक्ति!

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25 FEB 2018 AT 14:56

वो उडन परी थी नीले गगन की
मै मुसाफ़िर इसी जमीं का था

वो रहती थी मुझसे बहुत दूर
यादों में पाता मैं उसे करीब था

वो जल परी थी गहरे समन्दर की
मै तैरता जहाज सतह का था

वो गुम थी कहीं ख्यालों में
ढूँढने मे उसे खो जाता मैं था

वो उडन परी थी , वो जल परी थी
मै मुस्कुराता..देख कर..किस्मत को था

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20 MAR 2019 AT 8:06

बड़े ही अजीब लोग बसते हे दुनिया में
कुछ सिर्फ़” मैं” में ही खोए
कुछ सिर्फ़ “तुम” में ही खोए

ए रब हमें उनसे मिलाना
जो सिर्फ़ “तुजमे” में ही खोए

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26 MAR 2023 AT 7:19

खुशी होती है बस न किसी से न कहीं पे मिलती है,
मुझे लेकिन ये तब होती है जब तू मुझसे मिलती है।
ज़रूरी एक मज़बूरी है जो मैं दूर हूँ तुम से,
मग़र ये तो है तय आख़िर नदी सागर में मिलती है।

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