थका थका तन-मन अगर तेरा सखे!
और पलकें नींद से हैं झपकी रहीं,
पथ अगर तेरा तुझे दिखता नहीं,
और शंकाएँ हैं मन में उठ खड़ी,
तो नहीं तूने सुनी क्या रे कथा?
कण्टकों पर पुष्प करता राज है,
कण्टकों से क्यों है भय हे सखे!
यदि सुकोमल हृदय तेरा आज है,
कौन सा स्वर नहीं, जिसमें सरगम आवास नहीं,
गीत फूटेंगे हृदय से ही करुण निर्बाध,
तू जगा तो निज हृदय में साध...!!
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