एक अरसा हुआ तुझसे बात नहीं हुई तेरे खयालातों से मुलाकात नहीं हुई तुम दूर हुए या अब तुझमें वो बात नहीं रही जो हर दिन था मेरा आज वो रात नहीं रही ।।
दिल ने कहा था कुछ वक़्त दे मुझे तेरी किसी खयालों में उससे मुलाकात नहीं होगी दूरियां बनाई थी तूने तो आज जज़्बात नहीं होगी तेरी ही वादों में अब वो बात नहीं होगी मेरे दिल में अब पहली सी वो जज़्बात नहीं होगी दुआ है मेरी तुझसे अब मुलाकात नहीं होगी ।।
डरती हूं मैं ज़िन्दगी से डरती हूं मैं आगे बढ़ने से डरती हूं मैं काम करने से डरती हूं मैं इंसानों से डरती हूं मैं बेहसी नज़रों से डरती हूं मैं अपने कदमों को बढ़ाने से डरती हूं मैं मां बनाने से डरती हूं मैं जनम देने से डरती हूं मैं एक हैवान को ना पहचाने से डरती हूं मैं एक हैवान को जन्म देने से हां बहुत डरती हूं मैं इस संसार में चलने से