बलात्कार
टूट पड़े हैं उसकी इज्जत पर ,
न जाने कैसे बने इतने बेदर्द ।
घड़े भर गए इनके पापों के ,
कोई तो बनाओ इन्हें नामर्द ।
ए-रे-ए तुझे कौन बोला मर्द...
वो कितना तड़पी - चिल्लाई ,
ग़र इन हैवानों को न हुआ दर्द ।
ए-रे-ए तुझे कौन बोला मर्द...
कुछ मामले सामने आते हैं ,
तो कुछ पर डल जाती गर्द ।
कर्म करते कुछ नीछ जैसा ,
ओड़ बदन पर कपड़ा ज़र्द ।
ए-रे-ए तुझे कौन बोला मर्द...
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