QUOTES ON #RAPE_A_SHAME

#rape_a_shame quotes

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5 OCT 2020 AT 13:48

नारी का जीवन
जैसे विचित्र एक कहानी
बंदिशें है समुन्द्र जितनी
त्याग जितना कि समुन्द्र में पानी ।।

नारी का जीवन
जैसे विचित्र एक कहानी
संघर्ष है आकाश जितना
पर है उड़ते चील,कौवों से अनजानी।।

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1 OCT 2020 AT 0:08


ना कोई कृष्ण है यहां.. ना कोई फरिश्ता है यहां..
सुरक्षित रहना है हर औरतों को अगर...
तो द्रोपती बनना पड़ेगा अब यहां...

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17 MAY 2019 AT 22:23

Rat k andhere mai,
Chupchap ho jata h,

Yo 3 saal ki bachi ho
ya 60 saal ki aurat
Sab ka anjaam ek hi hota h,

Ansu nikalti nhi ankho se
Khun ka dariya beh jata h,

Subha ho ya sham
Bass haiwaniyat bahar aata h,

Kya kapro ka dosh h,
Srif ya to bataiye

Har ghr mai to yahi bol kar
muh dabaya jata h,

Shh !!!! bahar maat niklo,
"rape" ho jata h

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21 OCT 2020 AT 10:45

लो आज मैं भी हुई दुष्कर्म का शिकार,
निहत्थी थी मैं, उधर भारी थें वार,
आज मुझे भी लूट गया कोई,
आबरू मेरी छीन कर मुझे तोड़ गया कोई।

खुद को बचाया बार हज़ार,
पर, अकेली थी मैं, वो राक्षस थें चार,
आज फिर हुई देश की एक और बेटी बर्बाद,
पूरी हो गई उन हैवानों की चाल।

गिरी खुद की ही निगाहों में आज,
निर्दोष थी मैं, फिर क्यों ये अत्याचार,
आज तबाह हुई एक और शान घर की,
तड़प रहीं हूं मैं, उधर हंस रहें अधर्मी।

आयना देखने पर, हुई और भी शर्मसार,
काट रही मुझे हरपल, इस ज़माने की तलवार,
हैवानों की भूख का, मैं भी हुई शिकार,
बद से भी बद्तर हुआ मेरा खिलवाड़।

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16 OCT 2020 AT 12:57

बलात्कार एक अभिशाप आखिर कब मिलेगा न्याय

Must read in caption

Instagram I'd @heaven_writes_20

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24 JUL 2020 AT 15:18

जब एक लड़की का रेप होता है ना
तो गलत सिर्फ वो लड़का ही नहीं होता है
Please read 🙏 in caption 👇👇

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1 DEC 2019 AT 2:51

"बिटिया, तू ना आना कभी इस देश !!"

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5 JUL 2020 AT 23:47

Hua tha bhagwan ko bhi bahut pachtava,
Un janvaro ko mene kyu insaan banaya..
Shayad wo maard ban gae uske vastra chin kar,
Jo insaan tak na ban pae nari ki aseemta ko chin kar.

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14 MAR 2020 AT 23:59

बचपन जलाकर उस मासूम बच्ची का,
वो शख्स सरेआम इज़्ज़त बटोरने लगा ।

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7 OCT 2020 AT 13:14

हैं मुखालिफ¹ कुछ जने, गद्दार के जैसे,
कल तलक जो लग रहे थे, यार के जैसे।

हादसा एक दिन यकीनन आएगा उन तक,
जो मौन साधे है खड़े, दीवार के जैसे।

क्या है नहीं इंसानियत उसमें मेरे मौला,
जो ले रहा है फैसला, बीमार के जैसे।

वाजिब मेरे प्रश्नों से तेरा मौन हो जाना,
क्यूं रुख तुम्हारा हो रहा, सरकार के जैसे।

यक्सर मिटा देते थे खुद को इश्क़ के जानिब,
अब बचा है इश्क़ बस, व्यापार के जैसे।

थी बहुत फुरसत कहां उस दौर में गालिब,
कट रहा हर एक दिन, इतवार के जैसे।

क्या कुशन की शायरी से है शगफ़² तुमको,
या पढ़ रहे हो तुम फकत, अखबार के जैसे।

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