QUOTES ON #RAKSHISM

#rakshism quotes

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8 JAN 2018 AT 1:28

"चोट पर चोट कर चोट का रोना मैने कभी सीखा नहीं,
ये सबसे अच्छा लगा तो रुको,सबसे अच्छा मैने अभी लिखा नहीं|"

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1 APR 2021 AT 8:44

‘ये कारीगरी कारोबार तक अच्छी है,
किरदार में नहीं|
ये कहानियाँ किताबों तक सच्ची है,
बाज़ार में नहीं|
शोहरत तुम्हारी आज़ादी की है,
शहरयार में नहीं|’

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14 MAR 2021 AT 13:35

‘की वक्त हर घाव भर देता है, ये कहानी सही है|
पर उन घावों के निशान हमेशा रह जाते है ये लिखा जाना अभी बाक़ी है|’

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27 SEP 2020 AT 15:32

‘ये ख़ामोश बोलियों के बीच मेरे लफ़्ज़ थोड़े है फँसे,
वो पिछली रात रोते रोते अब सवेरे में हँसे|
ये रात गई और बात गई के फ़लसफ़े में है धँसे,
ये टूटते से ख़ाब मुझको बेड़ियों में है कसे|
ये दिल भी ख़ाली, रात काली सब लगे बस ज़ाली ज़ाली,
तुम चेहरों पर हो चेहरे रखते छल कपट में जैसे बालि|
पर छल का क्या है छलका है, ये खेल थोड़ा हल्का है,
कहानी तुम दो पल के हो, ये लिखने वाला कल का है|’

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2 APR 2021 AT 14:10

‘तुम मगरूर हो या मजबूर हो ये समझने दो मुझे,
तुम मसरूफ़ हो या महफ़ूज़ हो ये परखने दो मुझे|
तुम रोज़े की अज़ान हो ज़रा पढ़ने दो मुझे,
एक शाम खुद की ज़िंदगी से गुज़रने दो मुझे|’

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1 MAR 2021 AT 9:03

‘तुम क्या ढूँढते हो, वो आख़िर चाहिए क्यूँ?
ये जो पास है, क्या वो काफ़ी नहीं?
ग़र जो काफ़ी नहीं, तो कल इसकी तलाश क्यूँ थी?
उन पथरीले रास्तों से यहाँ पहुँचने की आस क्यूँ थी?
तुम लड़े, रोए, चीख़े इसके लिए,
उस सर्द बारिश में भीगे इसके लिए|
शायद तुम्हें वो अब क़ीमती नहीं लगता,
कुछ बेरुख़ी दिखती है, मैं लफ़्ज़ों में समझा नहीं सकता|
पर चलो ठीक है, उस हीरे का यही दस्तूर है,
जब तक चमक है, आख़िर तब तक ही ग़ुरूर है |
पर सवाल तो वो आज भी वाजिब है,
अरे भई वो हीरा तो है, और ऊपर वहाँ क़ाबिज़ है|
फिर तुम क्या ढूँढते हो, वो आख़िर चाहिए क्यूँ?
ये जो पास है, क्या वो काफ़ी नहीं?’

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26 MAY 2018 AT 17:27

Laughing on the bloopers of your life.

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5 MAY 2020 AT 11:51

‘समस्या तब नहीं जब समस्या है,
समस्या तब है जब समस्या है ही नहीं|’

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4 AUG 2020 AT 21:37

‘ये दौड़ मेरी बनायी तो नहीं, फिर मुझसे पूछना क्या है?
भागो या छोड़ दो, पर ये मुझसे रूठना क्या है?
तुम्हें क्यू लगता है की तुम्हारी जीत की फ़िक्र है मुझे?
मेरे अपने क़िस्से है, उसकी ख़ुशी का हिज्र है मुझे|’

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4 MAY 2020 AT 11:12

‘बचपन की किसी चोट का दर्द याद है,
बस हर दर्द को उतना ही याद रखना|’

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