दरीचे से टपकती बारिशें की बूँदे मेरी उस मेज़ पर गिर रही है जिस पर मेरे कागज़ है उन कागज़ों में लिखें अशआर गीले है मगर वो बारिश की बूंदों से नहीं अश्कों से भीगे है तुम्हे मालूम तो होगा जानां रात की तन्हाई और बारिश में हिज्र-ए-यार का सदमा बहुत अज़ीयत देता है।
बारिश का मौसम है रूह की फिज़ाओ में ग़मज़दा हवायें है बेसबब उदासी है इस मौसम में बेक़रार रातों की बेशुमार बातें है अनगिनत फ़साने है जो खामोशी से दिल में रहते है और बहुत मज़बूरी में हम सब से कहते है आज मौसम अच्छा है।