जिस पर लिख ना सकी कलम मेरी ऐसी कोई किताब है तू। दिल मेरा जिसे पा ना सका ऐसा अधूरा ख़्वाब है तू। जो चाहा वो मिला नही जो मेरा था वो भी गवाँ दिया। बता मेरी किस्मत क्यों इतनी खराब है तू।।
ना माथे पर मेरे शिकन कोई, पर दिल में दफन हैं कई राज़ मेरे। वो समझे दर्द मेरे ज़ख्मो का, जो महसूस करें एहसास मेरे। सुन शायरी मेरी सब वाह-वाह करते, पर कोई समझे न "जज़्बात" मेरे।।