बेनाम_बेशब्द_और_बेहिसाब
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ग़ज़ल क्या हैं
तुम्हारी आँखो के आँसू
रदीफ़ और काफ़िया क्या हैं
तुम्हारी तन्हाइयां
जो नहीं हैं यह सब
कोरा कागज़ हैं
जो हैं सब कुछ
वह महोब्बत है
बेनाम,बेशब्द और बेहिसाब
ग़ज़ल,रदीफ़ और क़ाफ़िया
छोटे पड़ जाते हैं
लिखने को तुम्हारी
महोब्बत !!
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