की रास्ते चलकर बदल जाया करते,
किसी रोज़ मंज़िलो से फासले मिट जाया करते,
ज़ख्मो का भी अपना एक अलग ठिकाना होता,
अच्छा होता अगर ख़्वाब हकीकत में न आये होते,
ये मंज़र भी मानो सब मेरा हो जाता,
कितना सुकून सब साहिल हो जाता,
अच्छा होता दिल टूटने पर अश्क़ सहारा नही लेते,
जुड़ने की एक ज़िन्दगी कोई आज़माइश नही देते,
अच्छा होता बीता वक़्त कभी नही लौटता,
कमसकम यादों के घरों को हम,
यूं जलाया नहीं करते,
अब खत है क़ासिद का पता नही हमे,
चलो अच्छा है तब सुकून अब खास ज़ाहिर नही करते।
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