फासले कुरबतो से बेहतर हो गए है
हिज़र में भी अब भलाई दिखती है !
कभी वक़्त के साथ मसरूफ थे हम
रिश्तों में भी अब परछाई दिखती है !
रहते हुए घर में घर से दूर थे हम
बेफिक्री से भी अब जुदाई दिखती है !
कमाने का जरिया नहीं और खर्चे तमाम है
भूखे पेट से भी अब लड़ाई दिखती है !
शोर करते शहरों में अब रोनक नहीं है
ख़ामोशीयों में भी अब तन्हाई दिखती है !
अपने बसेरे में रहकर ही लड़ना है
बंदगी में भी अब अच्छाई दिखती है !
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