कलयुग है कलयुग
राहो मे कांटे बिछे हुए,
आरंभ अन्त तक खिचे हुए,
है मार्ग नही आसान मेरा
नैन अश्रुधार से सिंचे हुए ।
मतलब से है सब खड़े हुए,
तुझे छोड के आगे बढ़े हुए,
ये कलयुग है ऐ दोस्त मेरे,
अब राम से रावण बड़े हुए।
पैसा-पैसा सब रटे हुए,
धर्म जाति के नाम पर बंटे हुए,
देखा जो मेरा वक्त बुरा,
सब दूर-दूर है हटे हुए।
अब पाप के बादल घने हुए
जिन हाथो मे खेल-खिलौने थे
अब वो हाथ खून से सने हुए।
ये कलयुग है ऐ दोस्त मेरे,
अब राम से रावण बड़े हुए
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