"संस्कार"
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अच्छे संस्कार नहीं मिलते किसी मॉल से,
ये तो वो नींव है, जो जुड़ती है परिवार के माहौल से!
जरूरत है आज की पीढ़ी को संस्कार सिखाने की,
यही तो है सीख चरित्र को बेहतर बनाने की!
कपड़ों से किसी के संस्कार की पहचान नहीं होती,
भले ही ना हो सर ढका, तो क्या वो लड़की लायक सम्मान की नहीं होती?
अक्सर लड़के भी बेहतर भविष्य के लिए घर से दूर चले जाते है,
इसका आशय ये तो नहीं कि वो अपने घर के संस्कार भूल जाते है!
बेटों को सिखाओ कैसे?
नारी का सम्मान होता है,
बेटियों को सिखाओ कैसे?
मायका और ससुराल दोनों ही उसका मान होता है!
संस्कार तो वो पौधा है जो अच्छी सोच और आचरण से बड़ा होता है,
संस्कार से ही तो मानव अच्छे चरित्र के साथ समाज में खड़ा होता है!!
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