माँ आत्मा है, परमात्मा है, धर्मात्मा है,
माँ दामिनी है चाँद की चांदनी है अर्धांगनी है।माँ गंगा की धारा, गगन का ध्रुव तारा, सागर का मोती और धरती पर स्वर्ग की विभूति है।माँ अन्धकार की ज्योति, सावन की झड़ी और उपवन की महकती काया है।
माँ आत्मा है, परमात्म है, धर्मात्मा है।।
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