दर्द सीने में जिसके भी उतर जाता है
वो अंदर से टूटकर बिख़र जाता है
राहत के लिए फिरता है दर-बदर
उसे दर्द मिलता है वो जिधर जाता है
सुकूँ में याद नही करता है ख़ुदा को
बेचैनी में मगर ख़ुदा के दर जाता है
सच है बुरा वक़्त काटे नही कटता
पर अच्छा वक़्त यूँही गुज़र जाता है
मोहब्बत में गुस्तखियाँ माफ़ हैं मगर
छोड़ देते हैं जब दिल भर जाता है
हर शख़्स की ये कहानी है "साजिद
जीने की तलब लिये ही मर जाता है
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