तेरा जो दिल दुखाए,
उसे नज़र- अंदाज़ किया कर,
बातों के काँटे जो चुभाए,
उस चुभन को नज़र-अंदाज़ किया कर,
कुछ लोग होते हैं,
हमारे हौसलों को तोड़ने के लिए,
ऐसे लोगों को नज़र-अंदाज़ किया कर,
मंज़िलों के रास्ते में काँटे भी मिलेंगे,
रास्तों में कंकर- पत्थर भी मिलेंगे,
क़दमों के तेरे ज़ख़्म भी मिलेंगे, खुद को,
हौसलों का नया घूँट पिलाया कर,
पर हार मान कर,
कभी अपने क़दम वापस न खींचना,
वरना फिर कुछ संकुचित सोच वाले लोग,
तेरी हार पे जशन मनाएँगे, और,
तुझे रुलाएँगे,
इस लिए खुद को हमेशा,
हौसलों की घूँट पिलाया कर।।
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