बस वो इतना खूबसूरत हो....
मेरे जज्बातों को समझ सके
मेरे दुःख सुख में सहभागी हो
जीवन पथ पर कदम मिलाए
काश ऐसा कोई अनुरागी हो.......
न रखे चाहना सूरज तारों की
जो अपनी मिट्टी से जुडा रहे
कर्तव्यपरायण सौम्य सुशील
बस संकेत मात्र पर मुडा रहे......
सभी के प्रति हो मन मेंअच्छे भाव
न कोइ बुरी व्यसन करता हो
शर्म हया से हो आच्छादित
लोक-लाज का वरण करता हो .......
सत्कर्म हो सदा उसके
प्यार प्रीति की हिय में प्यास
मानवमूल्यों से मण्डित मन
भरा हो रोम रोम में विश्वास.......
रखे विचारों की महानता
सहकार प्यार की मूरत हो
सम्मान में झुकती हों आँखें
बस वो इतना खूबसूरत हो।
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