सुनो! मुहब्बत पर पाबंदियां आयद हो गयी है,
अब तुम और मैं इश्क़ नहीं बस मिला करेंगे।
दौरान-ए-मुलाक़ात वफ़ा की बात और नाही प्यार पर गुफ्तगू होगी,
मैं किसी और तो तुम किसी और सियासी फर्द का गिला करेंगे।
एक सीधी राह दरम्याँ कुछ फासले बनाकर साथ चलेंगे,
जहाँ भी मोड़ आएगा वहीँ से एकसाथ लौटा करेंगे।
डिजिटल रास्तों पर भी ये नज़रे गड़ाये बैठे है,
अब चिट्ठियां लिख लिख कर ही एक दूसरे से राब्ता करेंगे।
और दुनियां को बताना होगा हमारी एक दूसरे से बिलकुल नहीं बनती,
इस वास्ते आँखें जब भी लड़े एक दूजे से, एक दूसरे पर मुक़दमा करेंगे।
ना जीतना है ना हारना है, बस कुछ ऐसा दांव मारना है,
दबिश जिसकी भी बढ़ेगी वो डोर थोड़ा ढीला करेंगे।।।।
ध्यान से सुनो! की मुहब्बत पर पाबंदियां आयद हो चुकी हैं,
अब मैं और तुम इश्क़ नहीं बस मिला करेंगे।।।।।।
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