कितनी दर्द भरी है मेरी, राह की ये निशानी।
आंखों में है पानी लेकिन, प्यासी मेरी कहानी।।
चलता फिरता मैं हुँ मुसाफ़िर, भूल गया मैं जवानी।
याद हमें हैं, टूटे-फूटे घर की धुंधली तस्वीर पुरानी।।
आज है रूठे सारे सपने, बन के जैसे अज्ञानी।
आज जला दो सारे पन्ने, लिखनी नहीं कोई कहानी।।
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