Prayas Singh 4 JUL 2018 AT 0:33 चरित्र प्रयत्नशील होना चाहिये, प्रकाशित तो पत्थर भी हो जाते हैं। - Prayas Singh 27 OCT 2018 AT 22:41 आसां नहीं कहना कि मैं आज़ाद हूँ,करोड़ों ख्वाहिशें चंद मजबूरियों के चंगुल में हैं। - Prayas Singh 13 DEC 2018 AT 1:41 जब मन चंचल था तो शान्ति थी,अब परिपक्व हुए तो कौतुहल मची है । - Prayas Singh 7 NOV 2018 AT 1:25 जब मन शांत था तब मोहल्ले में पटाख़ों का शोर था,आज मोहल्ला शांत है और मन में राकेट से फूटते हैं। -