सोचा था बताने से दिल का हाल,
गम की यह जंजीरे पिघल जाएंगी,
हाथों की लकीरें बदल जायेंगी,
उम्मीद की एक नई किरन दिखेगी,
दिल में तो था बहुत कुछ छिपा हुआ ,मगर
था मन में एक डर भी,कि
कोई विश्वास भी करेगा इस दिल का,
या रह जाएंगी,दिल की सारी उम्मीदें धरी की धरी.....
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