रहे कोई कब तक उदास
मन नहीं है किसी का दास
जो सोच रखा है विधाता ने, वो भेद सारे खुल जाने दो
जो आ रहा समय, आने दो
नियति का जो हैं खेल प्रबंध
दिख रहा सब कुछ मंद मंद
कर्मों को अपने रखो तैयार, हो भाग्य जैसा उसे लाने दो
जो आ रहा समय, आने दो
जलता भविष्य धूं धूं कर
आकर वर्तमान को छू कर
झोली पसारा भूत भूतल सा, भस्म को उसमें समाने दो
जो आ रहा समय, आने दो
जो मिला दुःख, हम अड़ेंगे
सुख के लिए निश्चित लड़ेंगे
एक नई क्रांति की चिंगारी से अब नई मशाल जलाने दो
जो आ रहा समय, आने दो
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