यह कैसी अलामिया हैं ज़िंदगी की
के चाहत भी उसी की है ... जो किस्मत में नहीं हमारे
जिसे पा नहीं सकते ... उसी के हुए बैठे हैं
ऐसा नहीं की मोहब्बत मसान नहीं हमारी
बस तुमसे मुबाहिसा करने से डरते हैं
मेरे हर खासता़ अल्फ़ाजो में होता है ख्याल तुम्हारा
मेरे हर खासता अल्फ़ाजो में होता है ख्याल तुम्हारा
और मैं उन पर ता उम्र नज़्मे लिखु
यही अलीम अपने तास्सुब में रखे बैठे हैं
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