क्यों आखिर क्यों,
आज ये नाइंसाफी क्यूं है...
क्यों मेरे हिस्से में सिर्फ टुकड़े,
तेरे हिस्से में हर मुक़ाम आता है...
क्यों मेरे हिस्से में सिर्फ खानाबदोशी...
तेरे हिस्से में महलों का ऐश - ओ - आराम आता है...
मेरे हिस्से में सिर्फ जिल्लत...
तेरे हिस्से में मान और सम्मान आता है।
मैं भी तो आखिर इसी दुनियां का हिस्सा हूं...
मैं भी तो इंसान ही हूं,
तो फिर मेरे साथ ये ज़्यादती क्यूं है...
क्यों आखिर क्यों..
आज ये नाइंसाफी क्यूं है।।
- प्रतिभा ❤️
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