मेरे मरने का ग़म मुझे होता नहीं है
क्या करें ये मुआ दिल रोता नहीं है
रोज ही कुरेदता हूँ मैं ज़ख्म अपने
सिल दूँ तो साला दर्द होता नहीं है
दूर कहीं, फ़िर कोई, रूह तड़पी है
यूँ ही, ये दिल सबब खोता नहीं है
रोशनी ये मेरे घर मेहमान क्या हुई
अँधेरों का दर्द कोई पिरोता नहीं है
आलम ऐसा था कि बारिश हो गई
सड़कों के दाग़, कोई धोता नहीं है
हँस हँस के बहा देता हूँ आँसू सारे
जानकर पागल, कोई होता नहीं है
वो कहते हैं ये तसव्वुर है जानलेवा
कह दो, प्रेम में ये सब होता नहीं है
मिरी उल्फ़त का शिकारी, कौन वो
कांधे जो सर रखकर सोता नहीं है
सुनाता हूँ शे'र मैं, कलेजा चीर कर
कहते हैं सुख़नवर क्यूँ रोता नहीं है
'बवाल है' कहकर लौट जाते हैं सब
महफ़िल में सगा कोई होता नहीं है
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