माता-पिता के बलिदानों को याद कर मैं कृतज्ञ हो उठती हूं, नतमस्तक होजाता है अंतर्मन जब भी मैं उनकी तरफ़ बढ़ती हूं, मां के लिए तो मैं सदैव ही चांद-सी चमकती हूं,पर पिता के संघर्षों को सोच कर, मैं सूर्य-सी जल उठती हूं।
वक्त निकाला कर उनके लिए भी, जो तेरा कल बनाने के लिए आज टूटा हैं। कमियाॅं तेरी.. ज़माने से छुपाए, जो तेरी काबिलीयत को तराशा हैं । वो पिता ही है,❣️ जो बिन आवाज़ और बिन ऑंसू के रोता है.. जान उस जन्नत के आशियाने को जो अपना दर्द छुपाए ख्याल तेरी मुस्कान का रखता हैं।