जटाओं से निकला गंगा जल बनारस में काशी हो गया,
कैलाश पर बैठा भोला भंडारी भी कैलाशी हो गया,
देवों का देव महादेव भी बनारस का वाशी हो गया,
बनारस घूमने आया शिवा खुद काशी हो गया,
अरे गुरु ठहरो जरा इन शब्दों का विश्वासी हो गया,
बनारस घूमने आया शिवा खुद काशी हो गया,
बनारस की गलियों में जब निकला
संगीत और साहित्य तो वो
बिस्मिल्लाह खान और कबीर भी काशी हो गया,
बनारस के ठाट बड़े राजाओं के जब पांव पड़े,
तो मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट भी काशी हो गया,
देवों का देव महादेव भी यहां का वाशी हो गया ,
बनारस घूमने आया शिवा खुद काशी हो गया।।।
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