थामी थी ऊँगलीयाँ, मुझे गोदी में लिया था
आँखों में ला के आँसू मुझे प्यार किया था
कोख़ से निकल कर, उन बाहों में आने का
माँ से ज़्यादा तो, आप ने इंतज़ार किया था
जागे तो आप भी थे, मुझे सुलाने के वास्ते
हर रात अपनी नींद का व्यापार किया था
जेब को नही देखा, मेरी हर ज़िद करी पूरी
मेरी ख़ुशी के लिये, काम बेशुमार किया था
अब आप नही हो, तो ये एहसास होता है
आप की वजह से, ये दरिया पार किया था।
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