आसमान को चीरकर , बादलों से छनकर ,
कहीं पहाड़ों के पीछे से , कहीं पेड़ के पत्तों के बीच से ,
रोशनी फैलाने निकली है , वो सूरज की पहली किरण है ।
झरोखों से अंदर आकर , हर जगह अपनी मनमानी चलाकर ,
कहीं खिड़की की ओंट से , कहीं परदे के पीछे से ,
सबको जगाने निकली है , वो सूरज की पहली किरण है ।
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