कैसी थी और क्या हो गई ,
अपने में ही मशरूफ सबसे बेखबर हो गई।
ना हस्ती- मुस्कुराती चुप सी हो गई,
सेहमी- अकेली ढीठ सी हो गई ।
किसिसे ना ऐतबार ना उम्मीद रखती,
अपने में ही बेखबर सबसे दूर हो गई।
ये ख्याल, ये सोच ; और उसपे मुकम्मल भी रहीं,
सबसे परहे अकेले ही ठिक रही।
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